OMG! बाप ने एक बेटी का गला घोंट कर ले ली जान तो वहीँ दूसरी के साथ…
कहा जाता है की किसी भी व्यक्ति को कुछ भी करवा सकते है और कई बार तो हालात इंसान को इतना मजबूर बना देते हैं कि उसे सही या गलत का भी कोई ख्याल नहीं रहता और वह ऐसा कदम उठा लेते हैं जिसकी कोई कल्पना नहीं कर सकता। आज हम आप को एक ऐसी ही सच्ची घटना के बारे में बताने जा रहे है जो की छत्तीसगढ़ के देवभोग का है| इस घटना को सुन कर आप का क्या किसी भी व्यक्ति का दिल दहल जायेगा यहां एक मजबूर बाप ने अपनी घर की परेशानियों से दुखी होकर पहले अपनी दोनों बेटियों की जान ले ली और बाद में खुदकुशी भि कर ली।
यहां पर एक 40 साल के पिता ने पहले गला दबाकर अपनी बड़ी बेटी की जान ली। फिर दूसरे कमरे में दो महीने की बच्ची को गोद में लेकर पेट्रोल छिड़क कर खुद भी आग में झुलस गया उसने आग लगाने से पहले अपने ऊपर काफी ज्यादा पेट्रोल छिड़का था, जिससे आग बुरी तरह फैल गई थी। कमरे में तपिश से अंदाज़ा लगाया जा सकता है कि कमरे में लगे फैन के ब्लेड गरम होकर मुड़ गए थे और पूरा कमरा धुएं से काला हो गया था।
ये मामला देवभोग के टेमरा गांव के सुधीर का है जो पेशे से टीचर थे इन्होने दो बेटी को जन्म दिया था एक ढाई साल की थी और एक दो महीने की थी| दोनों बेटियों समेत इन्होने ये खतरनाक कदम उठाया। सुधीर ने अपनी पत्नी कविता को कमरे में बंद कर दिया था। रात को जब कविता के चिल्लाने की आवाज ससुर ने सुनी तो दरवाजा खोला।
कमरे में आग देख दोनों ने सुधीर और बच्ची को बचाने को काफी कोशिश की लेकिन उनको बचा न सके। कविता ने बताया कि उनकी छोटी बेटी का नामकरण संस्कार रविवार को रखा गया था। एक हफ्ते पहले सुधीर बोतल में पेट्रोल लेकर आया था। कमरे के एक कोने में तेल की बोतल देख उसने इसे लाने की वजह पूछी तो सुधीर ने दूसरी बात कर के उसकी बात टाल दी|
हादसे में पति और बच्ची को बचाने पहुंची पत्नी कविता भी 10 फीसदी तक झुलस गई। रोती बिलखती कविता बार-बार चीखते हुए कभी पति तो कभी बच्चों के शव से लिपट रही थी। कविता के मुताबिक, देर रात साढ़े 03 बजे के करीब बच्ची के रोने और उसके पति सुधीर के कराहने की आवाज सुने पड़ी तब उसकी नींद खुल गयी और जब वो मकान के आगे वाले कमरे में पहुंची तो देखा की पति और बच्चे दोनों लपटों से घिरे थे। शोर मचाने के साथ कविता उन्हें बचाने के लिए खुद आगे बढ़ी। तब तक आसपास के लोग भी पहुंचे और उन्होंने झुलस रही कविता को खींचकर हटाया और आग भी बुझाया|
सुधीर प्राइमरी स्कूल में शिक्षक थे और उनके परिवार में उनके मां-पिता, पत्नी और दो बेटियों के साथ रहते थे सुधीर के पिता त्र्यंबक को 5 साल से कैंसर था जिसके कारण घर की साडी जमा-पूंजी इलाज में चली गई। मुंबई से उनका इलाज चल रहा था। सुधीर ही अकेला कमाने वाला था, सुधीर को कुल 18 हजार की सैलरी में मिलती थी इलाज के लिए उसने ग्रामीण बैंक से 3.5 लाख लोन भी लिया था। पुलिस के मुताबिक, इस मामले की शुरुआती जांच में खुदकुशी और हत्या, दोनों तरह से देखा जा रहा था।