यदि नहाते वक़्त कर लेते हैं इस मंत्र का जाप, समझ लीजिये बदल जाएगी आपकी किस्मत
भारत एक ऐसा देश है, जहाँ नदियों को देवी की तरह माना व पूजा जाता है। भारत में ऐसी कई नदिया है, जो बहुत ही गुणकारी व बहुत ही ज्यादा लाभदायी है। भारत की उन्ही नदियो में से एक व सबसे प्राचीन और पवित्र नदी गंगा है। माना जाता है कि गंगा में स्नान करने से मनुष्य के सभी पाप धुल जाते है। इसी प्रकार कई तिर्थ स्थल है जहाँ लोग स्नान करके अपने और अपने परिवार को पुण्य की प्राप्ति कराते है । स्नान करते समय यदि आप गुरू मंत्र, स्तोत्र,कीर्तन आदि करते है तो यह बहुत शुभ माना जाता है तथा इससे आपको पुण्य की प्राप्ति होती है। स्नान करते समय मंत्र उच्चारण किया जाता है, यह बात शास्त्रो में भी वर्णित है।
प्राचीन समय मे ऋषि मुनि आदि स्नान करते समय हमेशा मंत्र का उच्चारण करते थे तथा सूर्य भगवान को अरग भी देते थे। ऐसा करने से ऋषि मुनियो को अक्षय पुण्य की प्राप्ति होती है। स्नान करते समय ऋषि, मुनि, ब्राह्मण आदि हमेशा मंत्र या श्लोक का उच्चारण करते है। ऐसा करने से उन्हें तीर्थ स्थल में स्नान करने का पुण्य प्राप्त होता हैं तथा स्नान करने के बाद पुण्य को प्राप्त करके उन्हें बहुत संतुष्टि प्राप्त होती है। अतः आपको बता देते है कि वह कौन – सा मंत्र है जिसका उच्चारण करके आप अक्षय पुण्य प्राप्त कर सकते है । तो चलिए आपको बताते है, उस मंत्र के बारे में जिससे आप अक्षय पुण्य के साथ ही साथ कई लाभ प्राप्त कर सकते है।
वो मंत्र कुछ इस तरह से है :
गंगे च यमुने चैव गोदावरी सरस्वति। नर्मदे सिन्धु कावेरी जलऽस्मिन्सन्निधिं कुरु।।
आपकी जानकरी के लिए बता दें की यह मंत्र बहुत ही पवित्र है और इस मन्त्र का उच्चारण जो व्यक्ति करता है वो जीवन की सभी कठिनाईयो को सफलता पूर्वक बिना किसी बाधा के पार कर जाता है और अपने जीवन मे असीम ऊचाईयों को हासिल कर सकता है। इस मंत्र का उच्चारण करने से घर परिवार में कभी भी धन की कमी नही होती है और इसके साथ ही घर मे सम्पन्नता होती है। इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य के जीवन में आने वाली कठिनाई को आसानी से हल करता है तथा इंसान पवित्र रहता है। इस मंत्र का जाप करने से नकारात्मक ऊर्जा आप पर हावी नही होती है।
आपको यह भी बता दें की जो भी व्यक्ति इन नियमों का सही से पालन करते हुए इस मंत्र का उच्चारण करता है उसे इसका पूरा पूरा लाभ मिलता है, मगर यहाँ पर ध्यान देने वाली बात ये हैं की इस मंत्र को हमेशा आँखे बंद करके ॐ कार करके किया जाना चाहिए ।जिससे यह बहुत फलकारी सिद्ध होता है तथा इसका पुण्य बहुत लाभकारी होता है।
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