नयी पहल : हवाई जहाज की तर्ज पर घटेगा-बढ़ेगा रेलवे का किराया

भारतीय रेल देश की लाइफलाइन के नाम से भी जानी जाती है ऐसा इसलिए क्योंकि देश की आधी से ज्यादा आबादी रेल सेवा का इस्तेमाल हर रोज करती है। हम अक्सर देखते है की रेल के किराए में अक्सर फेरबदल होते रहते है जो कभी यात्रियों को खुशी तो कभी गुम भी देते है। मगर इस बार रेलवे ने किराए को लेकर एक बड़ा कदम उठाया है। बताया जा रहा है की अब रेलगाड़ियों के किराये में भी विमान और दिल्ली मेट्रो की तरह उत्तर चढ़ाव देखने को मिलेगा। रेल मंत्रालय लम्बी दुरी की ट्रेनों व उपनगरीय सेवा का किराया व्यस्त और सामान्य सीजन के आधार पर तय करेगा।

सस्ती हवाई सेवाओं और सड़क परिवहन से मुकाबला करने के लिए कुछ श्रेणियों में किराया कम भी हो सकता है। वहीं कुछ प्रमुख रुट और उपनगरीय ट्रेनों का किराया 30 फीसदी तक बढ़ सकता है। रेल मंत्री सुरेश प्रभु ने रेलवे यात्री किराया ढांचे में बदलाव के लिए रेलवे बोर्ड के पांच कार्यकारी अधिकारियों की टास्क फाॅर्स बनायीं थी, जिसने 13 जुलाई को अपनी रिपोर्ट सौंप दी है। अगर टास्क फाॅर्स की सिफारिश मानली जाती है तो अधिकतम तीन माह के अंदर यह नियम लागू हो सकता है।

रिपोर्ट में मेल एक्सप्रेस, सुपरफास्ट ट्रेनों का किराया पीक और ऑफ सीजन के आधार पर तय करने की सिफारिश की गयी है। वहीँ उपनगरीय ट्रेनों में पीक ऑवर्स के आधार पर किराया तय किया जायेगा। नागर विमानन ने चुनिन्दा शहरों के बीच 2500 रूपए में हवाई सफर देने की पेशकश की है। ऐसे शहरों के बीच का किराया प्रतिष्पर्धा अथवा कम किया जा सकता है, जिससे रेलवे के राजस्व का कम नुकसान होगा।

वहीँ, इस घाट की भरपाई अधिक डिमांड वाले रुट की मेल-एक्सप्रेस ट्रेनों का किराया 100 फीसदी तक बढ़ गया है। टास्क फाॅर्स ने सिफारिश की है ट्रेनों का किराया तय करने का अधिकार डीआरएम और जीएम को दिया जाना चाहिए। इससे स्थानीय मांग के मुताबिक, व्यस्त और सामान्य समय में रेल किराये में बदलाव किया जा सकेगा।