नवरात्री के अंतिम दिन सिर्फ चुटकीभर सिंदूर का ये उपाय घर की मिट्टी को भी कर देगी सोना
जैसा कि हम सभी जानते हैं कि शारदीय नवरात्र की शुरुआत हो चुकी है और सभी घरों में नौ दिनों तक देवी के नौ रूपों की पूजा की जाएगी। ये त्योहार बेहद भक्तिभाव से मनाया जाता है भक्त मां को प्रसन्न करने के लिए नौ दिनों का व्रत रखते हैं। नवरात्र में मां आदि शक्ति के नौ रूपों का पूजन किया जाता है। हर दिन शक्ति के अलग रूप की पूजा होती है। यह नौ दिन भारतीय संस्कृति की अनूठी झलक पेश करते हैं। नवरात्र का हर दिन समान भक्ति भाव से पूजा जाता है।
इन्ही नौ दिनों में माँ दुर्गा के आठवें रूप की माता महागौरी की पूजा भी होती है जो नवरात्री के आंठवे दिन माता महागौरी की पूजा की जाती है। कहते हैं कि माँ महागौरी अमोघ फल देने वाली माता हैं कहानी के अनुसार माँ महागौरी ने देवी पार्वती रूप में भगवान शिव अपने पति के रूप में प्राप्त करने के लिए घोर तप किया था।
कथा के अनुसार बताया जाता है कि एक बार भोलेनाथ माता पार्वती जी को देखकर कुछ कह देते हैं। जिससे माता पर्वतो आहत हो जाती हैं और तपस्या में लीन हो जाती हैं। जिसके बाद माता पार्वती कई वर्षो तक तपस्या करती रहती हैं और फिर वापस नहीं आती। इसके बाद भगवान शंकर माता पार्वती को खोजते हुए उनके पास जाते हैं और वहां जाकर भगवान शिव माता पार्वती को देखते हैं माता पार्वती का रंग बहुत ही ओजपूर्ण होता है। ये सब देख भगवान शिव माता पार्वती को गौर वर्ण का वरदान मिल जाता है जिसके बाद से ही मां का नाम महागौरी पड़ गया।
मां दुर्गा की आठवीं शक्ति का नाम महागौरी है। इनकी आयु आठ साल की मानी गई है। इनके सभी आभूषण और वस्त्र सफेद होने की वजह से इन्हें श्वेताम्बरधरा भी कहा गया है। कहते हैं कि शिव को पति रूप में पाने के लिए महागौरी ने कठोर तपस्या की थी। इस कारण इनका शरीर काला पड़ गया। लेकिन तपस्या से प्रसन्न होकर भगवान शंकर ने इनके शरीर को गंगा जल से धोकर कांतिमय बना दिया। तब से मां महागौरी कहलाईं इनकी उपासना से सभी पापों से मुक्ति मिलती है। इनका पूजन मंत्र है : श्वेते वृषे समारूढ़ा श्वेताम्बरधरा शुचिः। महागौरी शुभं दद्यान्महादेवप्रमोदया॥
अष्टमी के दिन माता की पूजा करने के लिए सबसे पहले लकड़ी की चौकी पर या मंदिर में महागौरी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें। इसके बाद चौकी पर सफेद वस्त्र बिछाकर उस पर महागौरी यंत्र रखें और यंत्र की स्थापना करें। इसके बाद हाथ में सफ़ेद फूल लेकर मां का ध्यान करें और मन्त्र का उच्चारण करें नवरात्री के आंठवे दिन माता गौरी की पूजा में नारियल का भोग लगाया जाता है।